सकारात्मक परिवर्तन में ,मीडिया की भूमिका

काठमांडू,जून 15 – ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू के मीडिया विंग के राष्ट्रीय संयोजक बी के शांतनु प्रहराज के नेतृत्व में भारत से 19 भाई बहिनों का प्रतिनिधि मंडल काठमांडू एवं नेपाल के चार शहरों में मीडिया नेपाल के मीडिया सेंटर के द्वारा सम्मलेन का आयोजन किया जा रहा है।सम्मेलन के इस श्रृंखला में प्रथम सम्मेलन काठमांडू में आयोजन के दौरान डा.डी डी मित्तल के द्वारा दिए गए उद्बोधन के एक अंश इस आलेख में प्रस्तुत है। लेखक :डा.डी डी मित्तल

ॐ शांति, ॐ शांति।सर्व प्रथम मै ज्ञान के सागर,शांति के सागर परमपिता परमात्मा को नमन करते हुए मंचाशीन पर सभी महानआत्माओं को नमन करते हुए ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय एवम काठमाडू सेंटर का आभार प्रकट करता हु।

मैं विषय पर आते हुए यह कहना चाहता हूं कि आज समाज एक बहुत ही विषम दौर में चल रहा है जहां हिंशा, अशांति एवं भय,असुरक्षा ,आतंक का माहोल है।सुरक्षा एवम कानून व्यवस्था चरमरा गई है और कहीं कहीं तो अराजकता का माहोल है।समाज एवम खासतौर से युवाओं में ज्ञान के अभाव में भटकाव आ रहा है और वे सकारात्मा से नकारात्मकता के दौर में जा रहे है। ऐसे में मीडिया की भूमिका बहुत ही आवश्यक है।

ज्ञात रहे कि मीडिया की भूमिका से पहले हमें यह जानना जरूरी होगा मीडिया के समाज में क्या कार्य है। इसलिए हम मीडिया को चार मुख्य कामों को लेकर चलते है इसमें नंबर एक सतर्कता (विजिलेंस) नंबर दो में सहसंबंध ( कोरीलेशन),नंबर तीन सांस्कृतिक प्रसारण(कल्चरल ट्रांसमिशन),नंबर चार,मनोरंजन (एंटरटेनमेंट)। समय की मर्यादा को देखते हुए मै अपनी बात सूक्ष्म में रखना चाहूंगा। मीडिया को संविधान का चौथा स्तंभ माना जाता है ,हालांकि भारतीय संविधान में इसका लिखित उल्लेख नहीं है,फिर भी मीडिया सजग प्रहरी के रूप में काम करता है।आदमी हर जगह हार जाता है तो उसको मीडिया ही दिखाई देता है।यही नहीं समाज को एकजुट बनाए रखने में भी उसकी भूमिका है। यहां तक कि प्रिंट मीडिया की तो मिशाल दी जाती रही । अतः समाज की मौलिकता को बनाए रखने में मीडिया की बहुत बड़ी भूमिका है।

स्वामी रामतीर्थ जब अमेरिका गए थे तो उन्होंने यही कहा था कि मैं तुम्हारे लिए परिवर्तन का संदेश लेकर आया हूं, दासता से प्रभुता और असहाय से शक्ति संपन्नता, और तुम भी बन सकते हो सम्राट। यह सुनकर सभी एकदम से चौके तब स्वामी रामतीर्थ ने कहा कि” एक ऐसा साम्राज्य भी है ,जहां सभी सम्राट हो सकते हैं” इसके लिए राज योग से ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय यह साम्राज्य बनाने की ट्रेनिंग दे रहा है।

इसी संदर्भ में ईसा मसीह ने भी यह बताया था कि परमात्मा का साम्राज्य तुम्हारे भीतर है ,यह तभी संभव है जब जीवन में परिवर्तन हो अंतरमुखी बन ,स्व की पहचान हो तथा सकारात्मक चिंतन और मनन,किंतु लोग परिवर्तन को स्वीकार नहीं हर पाते ,इसके लिए सकारात्मक होना चाहिए,

और हमारा मीडिया यह कार्य बेखूबी से करने के लिए अग्रसर है।पहले जहां सुबह सुबह टी आर पी, व्यूअरशिप ,पाठको की संख्या बढ़ाने के लिए चोरी,डैकेटी,बलात्कार हिंसा ,आतंकवाद की खबरों को प्रमुखता दी जाती थी ,यह सभी समाचारों को प्रमुखता दी जाती रही किंतुअब कमी आने के संकेत आ रहे है, इसमें ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। अंत में मैं यही कहूंगा आप दीप जलाने का प्रारंभ करे,एक से लाखो करोड़ों दीपक जल जायेगे और इसी मानसिक परिवर्तन से सामाजिक परिवर्तन आएगा। ॐ शांति।

(लेखक:डा.डी डी मित्तल)

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