लंबित वादों का प्राथमिकता पर निस्तारण और त्वरित न्याय पहुंचाने पर दिया जोर

देहरादून । उत्तराखंड जजेस एसोसिएशन का वार्षिक सम्मेलन दून विश्वविद्यालय सभागार देहरादून में सम्पन्न हुआ है, जिसमें समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति सुधांशू धूलिया उपस्थित रहे। जिन्होंने उत्तराखंड जजेज एसोसिएशन को शुभकामनाएं देते हुए अपने सम्बोधन में उत्तराखण्ड राज्य के समस्त न्यायिक अधिकारियों को कहा कि न्यायपालिका के सामने वादकारी एक उम्मीद से आते हैं तथा पीठासीन न्यायाधीशों का यह दायित्व है कि विवादित मामले का निस्तारण शीघ्रता पूर्वक करें, उन्होंने विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन वादों में लम्बी तिथियाँ दिये जाने के दृष्टिकोण को भी बदलने के लिए न्यायाधीशों से आह्वान किया है। यह भी कहा कि बदलती हुई वर्तमान परिस्थितियों में परंपरागत न्याय प्रक्रिया के अनुरूप ढालने की आवश्यकता है।

उन्होने इस पर भी जोर दिया कि दोषसिद्धि एवं दण्ड अलग.अलग हैं भले ही दोष सिद्ध हो जाए, लेकिन दण्ड देते समय मामले की समग्रता को ध्यान में रखना भी आवश्यक है। न्यायाधीशों के निर्णय लेने की प्रक्रिया अपने आप में कठिन है। उन्होने इस बात पर भी बल दिया कि न्यायाधीशों को केवल विधिक ज्ञान की आवश्यकता नहीं, बल्कि समाज के सभी पहलुओं को जानने के लिए अन्य विषयों का भी अध्ययन उसी प्रकार से करना चाहिए, जिस प्रकार से वह विधि का ज्ञान अर्जित करते हैं। इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्य अतिथि द्वारा इजराइल के उच्चतम न्यायालय के पूर्व अध्यक्ष एवं विधिवेत्ता श्री अहरोन बराक का जिक्र करते हुए कहा कि न्यायाधीशों का विचारण हर वाद में होता है इसलिए न्यायाधीशों को अपना न्यायिक दृष्टिकोण विस्तृत रखना चाहिए। समारोह में उत्तराखंड उच्च न्यायालय, नैनीताल के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुहानाथन नरेन्दर के द्वारा उत्तराखंड जजेज एसोसिएशन को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि त्वरित न्याय करना न्यायाधीशों का प्रथम दायित्व है, उन्होंने विगत 5 वर्ष पुराने लंबित वादों का शीघ्रता से निस्तारण किया जाना प्राथमिकता बताया है।

न्यायिक अधिकारियों के द्वारा न्यायिक कार्यों को पूर्ण मनोयोग से तभी सम्पन्न किया जा सकता है जब समुचित संसाधन तथा सुविधाएँ अनुकूल एवं व्यवस्थित हों। यदि न्यायिक अधिकारी को न्याय प्रदान करने में कोई संस्थागत अथवा व्यावहारिक समस्या उत्पन्न होती है तो एसोसिएशन के माध्यम से एक मंच पर उक्त समस्या को उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाना चाहिए तथा संस्थागत एवं व्यावहारिक समस्याओं का समुचित समाधान किये जाने में उच्च न्यायालय का पूर्ण प्रयास रहेगा। इस अवसर पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय नैनीताल के वरिष्ठ न्यायमूर्ति श्री मनोज कुमार तिवारी ने न्यायपालिका को लोकतंत्र का संरक्षक बताया है तथा समावेषण न्याय तक सुगम पहुंच और न्यायिक स्वतंत्रता की आवश्यकता पर जोर दिया तथा उन्होंने उत्तराखंड न्यायाधीश संघ के पुनर्गठन को न्यायिक कल्याण और संस्थागत मजबूती की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताते हुए न्यायिक अधिकारियों से न्याय के मूल सिद्धांतों को निडरता व ईमानदारी से पालन करने का आह्वान किया गया तथा न्यायाधीश संघ को अपनी शुभकामनाएं दी। इस कार्यक्रम के अवसर पर उत्तराखंड जजेज एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री राकेश कुमार सिंह एवं एसोसिएशन के अन्य पदाधिकारियों तथा न्यायपालिका के वरिष्ठ सदस्यों/जिला जजों ने मुख्य अतिथि सहित मंचासीन न्यायमूर्ति गणों का स्वागत एवं अभिनन्दन पुष्पगुच्छ तथा स्मृति चिह्न देते हुए किया गया। स्वागत सम्बोधन जिला जज, देहरादून श्री प्रेम सिंह खिमाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी प्रस्तुति भी हुई।

कार्यक्रम के अवसर पर उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, नैनीताल के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री गुहानाथन नरेन्दर, वरिष्ठ न्यायमूर्ति श्री मनोज कुमार तिवारी, न्यायमूर्ति श्री आलोक कुमार वर्मा, न्यायमूर्ति श्री राकेश थपलियाल, न्यायमूर्ति श्री आशीष नौथानी तथा उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश, श्रीमती ऋतु बाहरी सहित पूर्व न्यायमूर्ति श्री यू.सी.ध्यानी, पूर्व न्यायमूर्ति श्री बी.एस. वर्मा, पूर्व न्यायमूर्ति श्री लोकपाल सिंह उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अवसर पर उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, नैनीताल की महानिबंधक, श्रीमती कहकशां खान, प्रमुख सचिव न्याय श्री प्रदीप पन्त, प्रमुख सचिव विधायी धनन्जय चतुर्वेदी, अमित कुमार सिरोही, विधिक सलाहकार मा० राज्यपाल उत्तराखण्ड सहित राज्य के सभी जनपदों के जिला जज तथा न्यायिक अधिकारीगण कार्यक्रम में उपस्थित रहे हैं।

उत्तराखण्ड जजेस एसोसियेशन के अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह द्वारा अपने सम्बोधन में विभिन्न जिलों में न्यायिक अधिकारियों को उत्पन्न होने वाली व्यावहारिक एवं संस्थागत समस्याओं को मंचासीन न्यायमूर्तिगण के समक्ष क्रमबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया गया, जिसमें मुख्य रूप से न्यायाधीशों को जिलों एवं तहसीलों में होने वाली आवासीय समस्याओंए समुचित मात्रा में कर्मचारियों एवं स्टाफ का अभाव, न्यायाधीशों की सुरक्षा सम्बन्धी व्यवस्था किए जाने, स्थानान्तरण के समय उत्पन्न समस्याएँ, उच्चस्तरीय अद्यतन पुस्तको हेतु बजट की आवश्यकता, आवासीय लाइब्रेरी भत्ता बढ़ाये जाने, न्यायिक अधिकारियों को अनुमन्य एवं नियत भत्तों को वेतन के साथ प्रदान किये जाने, समस्त पारिवारिक न्यायाधीशों को शासकीय वाहन उपलब्ध कराने, माह के चतुर्थ शनिवार को अवकाश घोषित किये जाने अथवा पाँच दिवसीय कार्य दिवस किये जाने, न्यायाधीशों को समय पर पदोन्नति एवं एसीपी लाभ दिये जाने के साथ-साथ न्यायाधीशों एवं परिवार को उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधाएँ निःशुल्क उपलब्ध कराने हेतु स्वास्थ्य नित्ति बनाये जाने की माँग की गयी है। उक्त समस्याओं एवं माँगों के सन्दर्भ में मंचासीन न्यायमूर्तिगण अतिथियों द्वारा सकारात्मक निस्तारण का आश्वासन दिया गया है। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, नैनीताल के सदस्य सचिव श्री प्रदीप कुमार मणी द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम का समापन ऐसोसियेशन के महासचिव श्री राजू कुमार श्रीवास्तव द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए किया गया है।

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