संवाद से संकटों के हल खोजना भारत की विशेषता: प्रो.संजय द्विवेदी

पीआरएसआई के 46 वें राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए देशभर के 200 जनसंपर्क विशेषज्ञ

रायपुर। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी),नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक प्रो.(डॉ.) संजय द्विवेदी का कहना है कि भारत ने संवाद से संकटों का हल खोजने की अनोखी विधि विकसित की थी। हमारी परंपरा में संवाद कभी व्यवसाय का विषय नहीं था, उसका उद्देश्य लोकमंगल ही रहा है। वे यहां 46वें राष्ट्रीय जनसंपर्क सम्मेलन के दूसरे दिन आयोजित सत्र को अध्यक्ष की आसंदी से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन वैचारिक ‘कुंभ’ के समान है, जिसमें विचारों का आदान-प्रदान और ज्ञान की साझा किया जाता है। उन्होने कहा कि जनसंपर्क संवाद युक्त समाज का निर्माण करता है, जो समाज में समझ और सहयोग को बढ़ाता है। इसके माध्यम से हम लोगों के बीच सामंजस्य और सशक्त संबंध स्थापित करते हैं। प्रो. द्विवेदी ने यह उल्लेख किया कि सभ्यता के इतिहास में हम विश्व के पहले कहानीकार(स्टोरी टेलर) हैं, हमारी कहानियाँ ना केवल मनोरंजन का साधन होती थीं, बल्कि समाज के नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भी प्रकट करती थीं। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा की विशेषता बताते हुए हुए कहा कि हम पेटेंटवादी नहीं हैं, बल्कि हमारा ज्ञान और विरासत मानवता की भलाई के लिए है। इस प्रकार, जनसंपर्क सम्मेलन में भारतीय समाज की सामूहिकता और ज्ञान के महत्व को प्रमुखता से प्रस्तुत किया गया है।

पहले तकनीकी सत्र में कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार विश्वेष ठाकरे ने अपने उद्बोधन में कहा कि
जनसंपर्क में विनम्रता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह संवाद को सकारात्मक और प्रभावी बनाता है। पत्रकारिता में तटस्थता की आवश्यकता इसलिए है ताकि जानकारी सही, निष्पक्ष और बिना किसी पक्षपाती नजरिए के प्रस्तुत की जा सके। इस तरह से समाज में विश्वास और सामंजस्य बनाए रखा जा सकता है।

आजकल सोशल मीडिया एक प्रमुख प्लेटफॉर्म बन गया है जहां लोग जल्दी और व्यापक रूप से संवाद करते हैं। यह जनसंपर्क और संचार के क्षेत्र में एक शक्तिशाली उपकरण बन चुका है, जो कंपनियों, संगठनों और व्यक्तियों को अपने संदेशों को बड़े पैमाने पर फैलाने में मदद करता है। उन्होने बताया कि संचार ही संबंध की रीढ़ है, किसी भी प्रकार के संबंध का मूल आधार है। चाहे व्यक्तिगत संबंध हों या पेशेवर, किसी भी प्रकार के संबंध में स्पष्ट और प्रभावी संचार आवश्यक होता है।

कार्यक्रम में पीआईएसआई के अध्यक्ष डा.अजीत पाठक, पूर्व सांसद नंदकुमार साय, साहित्यकार गिरीश पंकज, लोक गायक पद्मश्री से अलंकृत भारती बंधु,सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी आलोक अवस्थी, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो.अविनाश वाजपेयी, प्रो.पवित्र श्रीवास्तव सहित देश भर से आए 200 जनसंपर्क अधिकारी और जनसंचार विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

About The lifeline Today

View all posts by The lifeline Today →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *