देहरादून/रुद्रप्रयाग। देवशाल गांव के आचार्य का कहना हैं की ज़ाख मेले के लिए अग्निकुंड तैयार करने के लिए स्थानीय ग्रामीण लकड़ी एकत्रित करने में जुट गए हैं। 15 अप्रैल को जाखराज दहकते अंगारों के बीच नृत्य कर भक्तों का अपना आशीर्वाद देंगे। जाख मेला स्थानीय जनमानस की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है। इस मेले की तैयारियां इन दिनों अंतिम चरण में हैं, बीज वापन मुहूर्त के साथ जाखराज मेले की कार्ययोजना निर्धारित की जाती है।
मेले की तैयारियां चैत माह की 20 प्रविष्ट से शुरू हो जाती हैं। पारंपरिक रूप से यह मेला प्रतिवर्ष बैशाख माह की दो प्रविष्ट यानी बैसाखी के अगले दिन होता है। इस बार 14 अप्रैल को जाखधार (गुप्तकाशी) में यह मेला होगा। वैसे तो क्षेत्र के कुल 14 गांवों का यह पारंपरिक मेला है, किंतु सीधी सहभागिता केवल तीन गांवों देवशाल, कोठेडा और नारायणकोटी की होती है और क्षेत्र की शुचिता तथा परम्परा को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए इन तीन गांवों में मेले के तीन दिन पहले यानी अग्निकुंड तैयार करने के दिन से “लॉकडाउन” लागू कर दिया जाता है। इस दौरान बाहरी लोगों यहां तक कि नाते रिश्तेदारों का भी गांव में प्रवेश वर्जित कर दिया जाता है।