प्रयागराज – चलती ट्रेन से कूड़ा फेंकना यात्रियों संग पैंट्रीकार संचालकों को भी महंगा पड़ सकता है। क्योंकि, आने वाले दिनों में दिल्ली-हावड़ा, दिल्ली-मुंबई रूट पर ट्रेनों की अधिकतम स्पीड 160 किमी प्रतिघंटे की जानी है। इसके लिए ट्रैक पूरी तरह से सुरक्षित होना चाहिए। क्योंकि, अमूमन ट्रेनों से फेंकी जाने वाली गंदगी आदि की वजह से मवेशी भोजन की तलाश में ट्रैक पर आते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं।ट्रैक के किनारे साफ-सफाई का विशेष ध्यान देने के लिए उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज जंक्शन, वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी, कानपुर सेंट्रल एवं टूंडला में गार्बेज कलेक्शन सेंटर बनाए गए हैं। ताकि, ऑन बोर्ड हॉउसकीपिंग वाले चलती ट्रेन में कूड़ा एकत्र कर उसे संबंधित स्टेशनों पर उतार दें।
रेलवे प्रशासन ने पैंट्रीकार संचालकों को सख्त हिदायत दी है कि अगर उन्होंने बीच रास्ते में कूड़ा फेंका तो जुर्माना लगाया जाएगा। पिछले दिनों अवध असम एक्सप्रेस में एक यात्री ने पैंट्रीकार से ट्रैक पर कूड़ा फूंकने का वीडिया बनाकर वायरल कर दिया था। मामला संज्ञान में आने पर डीआरएम तिनसुकिया के निर्देश पर आईआरसीटीसी ने संबंधित संचालक पर 15 हजार का जुर्माना भी लगाया था।एनसीआर के सीनियर पीआरओ डॉ.अमित मालवीय ने बताया कि अधिकांश ट्रेनों में ऑन बोर्ड हॉउसकीपिंग आदि की व्यवस्था की गई है। झांसी स्टेशन पर 97 ट्रेनों की सफाई की जाती है। इसके अलावा कानपुर सेंट्रल पर भी 32 ट्रेनों से एवं प्रयागराज जं कुल 13 ट्रेनों का गार्बेज कलेक्ट किया जाता है।