कानपुर। ‘ओला’ से हो गई डील ! इसी लिये दे दी गई ढील!! जी हाँ, ये पंक्तियाँ बिल्कुल सही चरित्रार्थ हो रहीं है और सम्भागीय परिवहन कार्यालय के अधिकारियों की चुप्पी भी कुछ इसी ओर इशारा कर रही है।बताते चलें कि ‘ओला’ कैब कम्पनी द्वारा उपभोक्ताओं की जानमाल व सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने व फ्राड करने का मामला बिगत दिनों प्रकाश में आया था। वहीं सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) द्वारा पड़ताल करने पर जानकारी मिली थी कि ओला फ्लीट टेक्नॉलॉजी प्रा0 लि0 की 231 गाड़ियाँ अनफिट हैं और इसके सम्बन्ध में सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) सुधीर कुमार ने 26 अप्रैल 2023 को ओला कैब कम्पनी को ‘एक करोड़ इक्यावन लाख उन्नीस हजार दो सौ तैंतीस रुपये’ 30 अप्रैल 2023 तक जमा करने का नोटिस थमा दिया था। निर्गत नोटिस में यह हिदायत दी गई थी कि अगर नियत तिथि पर बकाया धनराशि को जमा नहीं किया गया जो जिलाधिकारी द्वारा वसूली करवा ली जायेगी।
सूत्रों से पता चला है कि नोटिस जारी होने के बाद ओला कैब कम्पनी के कर्मचारियों व सम्भागीय परिवहन कार्यालय के बीच अदृश्य ‘डील’ हो गई। परिणाम यह हुआ है कि ओला कैब कम्पनी से ना तो अब तक बकाया जमा करवाया गया है और तो और नोटिस को जिलाधिकारी तक प्रेषित नहीं किया गया है।इस बाबत जब सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) सुधीर कुमार से जानकारी जब 25 दिन पहले जानकारी मांगी थी तो उन्होंने बताया था कि ‘‘बॉस’’ से कम्पनी के कर्मचारियों से वार्ता हो गई है। इस लिये वसूली की कार्यवाई में कुछ दिनों की ढील दी गई है। किन्तु इसके बाद वसूली सम्बन्धी कार्यवाई के बारे में जानकारी करने का प्रयास कइ बार किया गया तो सुधीर कुमार ने फोन उठाना ही बन्द कर दिया है।ऐसे में अब इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि ‘ओला’ कैब कम्पनी के कर्मचारियों व सम्भागीय परिवहन अधिकारियों के बीच शायद कुछ अदृश्य ‘डील’ हो गई हो और ओला कैब कम्पनी को ‘ढील’ दे दी गई हो ! अगर ऐसा नहीं तो उनके कार्यालय द्वारा जारी की गई वसूली नोटिस को ठण्डे बस्ते में क्यों डाल दिया गया है ? उनके कार्यालय द्वारा जारी नोटिस में नियत की गई तिथि के एक माह गुजरने के पश्चात भी नोटिस को जिलाधिकारी को क्यों नहीं प्रेषित किया जा रहा है ??