बाड़मेर – बाड़मेर में कांग्रेस को भाजपा से नहीं, बल्कि निर्दलीय उम्मीदवार से कड़ी चुनौती मिल रही है। बाड़मेर विधानसभा सीट पर तीन बार चुनाव जीत चुके मेवाराम जैन चौथी बार अपनी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में हैं। क्षेत्र में कामकाज को लेकर लोगों की बीच उन्हें कुछ नाराजगी भी झेलनी पड़ रही है, लेकिन इसके बाद भी उनके समर्थक उनके साथ हैं। वहीं, भाजपा ने टिकट के स्थानीय दावेदारों की आपसी प्रतिद्वंद्विता को समाप्त करते हुए दीपक कड़वासरा को अपना उम्मीदवार बनाया है। लोगों के बीच कमजोर पकड़ दीपक कड़वासरा की सबसे बड़ी कमी साबित हो रही है। जमीन पर चर्चा है कि केंद्रीय मंत्री अशोक चौधरी की दखल के कारण उन्हें टिकट मिल गया है, इससे उनकी छवि को खासा नुकसान हो रहा है। अशोक चौधरी का क्षेत्र में काफी विरोध हो रहा है। वे कड़वासरा के चुनाव प्रचार तक में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। भाजपा को बाड़मेर में इस स्थिति का नुकसान हो सकता है।
दोनों ही राष्ट्रीय दलों के उम्मीदवारों को सबसे कड़ी चुनौती भाजपा की बागी उम्मीदवार डॉ. प्रियंका चौधरी से मिल रही है। जाट समुदाय के प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आने वाली प्रियंका चौधरी को भाजपा का मजबूत संभावित प्रत्याशी माना जा रहा था। दीपक कड़वासरा को टिकट मिलने के बाद प्रियंका चौधरी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में कूद पड़ीं। स्थानीय निवासी उनकी जीत की प्रबल संभावना जता रहे हैं। जाट समुदाय अपने समाज से आने वाली लड़की के साथ डटकर खड़ा हुआ है। जाट समुदाय ही नहीं, अन्य स्थानीय समुदाय भी उनके साथ हैं। प्रियंका चौधरी स्वयं अपने चुनाव प्रचार में खुद को हर समाज, हर वर्ग की बेटी बता रही हैं। वे पिछले 15 साल से जमीन पर राजनीतिक तैयारी करती रहीं और जनता के हर संघर्ष में साथ खड़ी रहीं। उन्हें अपने इस संघर्ष का सकारात्मक परिणाम यहां से जीत के रूप में मिल सकता है, उनके करीबियों का यही मानना है।