देहरादून। राजधानी देहरादून में पर्यावरण प्रेमियों ने आज पेड़ काटने के आदेशों के खिलाफ शांतिपूर्वक शव यात्रा निकाली। देहरादून की बिगड़ती पर्यावरण की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए और सरकार के बेतहाशा पेड़ काटने के आदेशों के खिलाफ विभिन्न पर्यावरण प्रेमियों ने सचिवालय के गेट तक शव यात्रा निकाल कर शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया। जिसमें बड़ी संख्या में पर्यावरण प्रेमी शामिल हुए।
हस्ताक्षर अभियान में शामिल जाने-माने पर्यावरणविद् डॉ. रवि चोपड़ा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के इस भीषण दौर में केवल पेड़ ही इसका असर कम कर सकते हैं।
लेकिन, उत्तराखंड में विकास के नाम पर लगातार पेड़ काटे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब तक जितने पेड़ काटे जा चुके हैं और जितनी योजनाएं प्रस्तावित हैं, उसे देखा जाए तो 65 हजार से ज्यादा पेड़ देहरादून के आसपास काट दिए गये हैं या आगे काट दिये जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है, जब एक-एक पेड़ को बचाना होगा। उत्तराखंड महिला मंच के पद्मा गुप्ता ने कहा कि पेड़ काटने की यही रफ्तार रही तो हमारी तीसरी पीढ़ी देहरादून में सर्वाइव नहीं कर पाएगी। साल दर साल देहरादून का टेंपरेचर बढ़ रहा है। यह खतरे की घंटी है। उत्तराखंड इंसानियत मंच के नन्द नन्दन पांडे ने इस तरह के आंदोलन को तेज करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि सरकार पेड़ काटने को सबसे बड़ा विकास मान रही है,
जबकि बिना पेड़ काटे भी विकास किया जा सकता है। भारत ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट ने आम नागरिकों और युवाओं का आह्वान किया कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या इस आंदोलन से जुड़ें और जीवन बचाने की मुहिम को आगे बढ़ाएं। आज पेड़ काटने की सरकारी नीतियों की शव यात्रा निकाली गई और राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया। नशा विरोधी जन अभियान के त्रिलोचन भट्ट ने कहा कि पेड़ बचाने की इस लड़ाई में युवाओं का अच्छा सहयोग मिल रहा है, जो उम्मीद की किरण है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से सिटीजन फॉर ग्रीन दून, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, उत्तराखंड इंसानियत मंच, एसएफआई, उत्तराखंड महिला मंच, एस डी सी फाउंडेशन, सर्वोदय मंडल, नशा विरोधी जन अभियान, सीटू, जन संवाद समिति, हिन्द स्वराज मंच आदि अन्य अनेक जागरुक जन संगठनों और प्रबुद्ध नागरिकों के सहयोग से आगे भी जारी रहेगा। हस्ताक्षर अभियान में सिद्दार्थ, कमलेश खंतवाल, इंद्रेश नौटियाल, कमला पंत, तुषार रावत, निर्मला बिष्ट, ज्योत्सना, हेमलता नेगी, व कई युवा साथियों आदि मुख्य रूप से शामिल थे।