हादसों की आदी जनता

प्राय : हादसे होते है और मीडिया में 2-4 रोज चर्चा होती है और फिर नॉर्मल हो जाता है किंतु इनसे हमारी जनता,राजनेता, नौकरशाह या तो अनजान हैं या जानना नहीं चाहते।कुंभ की घटना जिसकी चर्चा मीडिया ने ज्यादा नहीं की इसमें एक वर्ग को गोदी मीडिया कहते है ,जो दूसरा वर्ग है उसकी आवाज नंगारो में तूती की आवाज बन कर रह गई,यह घाव भरा भी न था कि कल नई दिल्ली स्टेशन पर फिर नया हादसा हो गया वह भी भगदड़ से ,हम प्रयागराज भगदड़ हादसा से उभर भी ना पाए थे कि नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ं के कारण नया हादसा हो गया जिसमें 16 जाने और करीब इतने गंभीर रूप से घायल हो गए ,प्रयागराज का मामला ठंडा हो गया जबकि घटना भी एक से ज्यादा थी,12 फरवरी को फिर नाव पलटने की घटना घटी जिसमें दो यात्री लापता और नो में से बचाए सात में भी दो की मौत हो गई किंतु मीडिया में कोई खबर भी नहीं।

अब यह मामले भी एक दो दिन ठंडे पड़ जाएंगे जैसे ही कुछ नया आया,लगता है हमें सहने की आदत पड़ गई है।
इन सब हादसों के पीछे अगर हम देखे तो अधिकांश हादसों की वजह बढ़ती जनसंख्या ही है ,जिसका बोझ ना प्रयागराज संभाल पा रहा है और न ही यह देश ! सरकार जितने भी संसाधन मुहैया करा दे रही है यह बढ़ती जनसंख्या के कारण ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर ही है।
अतः सरकार को चाहिए कि सबसे पहले जनसंख्या का सख्त कानून लाए उसके बाद ही अन्य कानून लाए ।
जब तक सख्त कानून नहीं आता यह ऐसा ही होता रहेगा और राजनेता एवं नौकरशाह अपना उल्लू सीधा करते रहेंगे। अब समय आ गया है जब सरकार पर बढ़ती जनसंख्या दबाव के लिए इस कानून को अमली जामा पहनाने के लिए जनता द्वारा दबाव बनाया जाना होगा तभी सुविधाये आम आदमी तक पहुंच पाएगी ।

इसमें यह मुफ्त अनाज वितरण,फ्रीबीज भी इस जन संख्या बढ़ोतरी का एक कारण है,गरीबी ,अशिक्षा के साथ।
जो परिवार गरीबी रेखा नीचे है इस मुफ्त की सुविधा से जनसंख्या प्रबंधन नहीं कर रहे बल्कि बढ़ोतरी यथावत कर रहे है।
इसका सर्वे सरकार कराए और तत्काल इस पर कारवाही करे ,अगर हम इन हादसों और देश को बचाना है।
लेखक डॉ.दीन दयाल मित्तल वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।

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