बौद्धिक मंथन से ही हल होगी समाज की समस्याएं : त्रिवेंद्र सिंह रावत

देहरादून। देवभूमि विकास संस्थान एवं दून विश्वविद्यालय के सौजन्य से समाज में व्याप्त समस्याओं जैसे पलायन की समस्या से समाधान, हिमालय क्षेत्र की धारणीय क्षमता के अनुरूप नीति निर्माण व इकोसिस्टम सर्विसेज का मूल्यांकन एवं आकलन, भारतीय ज्ञान परंपरा एवं गुणवत्ता युक्त शिक्षा, भारतीय संस्कृति का चिरंतन प्रवाह आदि-अनादि काल से अमृत काल तक के कालखंड की व्याख्या जैसे विषयों पर दो दिवसीय बौद्धिक मंथन दिसंबर के अंतिम सप्ताह में दून विश्वविद्यालय आयोजित होगा। इस दो दिवसीय बौद्धिक मंथन के आयोजन की तैयारियों पर आज एक बैठक आयोजित की गयी।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार लोकसभा सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि समाज में व्याप्त समस्याओं के समाधान का हल वैचारिक मंथन एवं विमर्श से ही संभव है क्योंकि बुद्धिजीवी समाज लगातार इन विषयों पर शोध संचालित करने के साथ ही अनवरत अध्ययनरत रहते हैं जिस कारण वे समाज में व्याप्त समस्याओं के समाधान हेतु कारगर भी सुझाव दे सकते हैं, इसके साथ ही विमर्श के माध्यम से नीतियों के निर्माण एवं क्रियान्वयन की दिशा में भी महत्वपूर्ण विकल्प प्राप्त होंगे। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा की देवभूमि विकास संस्थान और दून विश्वविद्यालय के सौजन्य से ‘गंग धारा: विचारों का अविरल प्रवाह’ नाम से व्याख्यान माला इस वर्ष से प्रारंभ की जा रही है और यह हर वर्ष आयोजित होगी, इस व्याख्यान माला के माध्यम से विचारों का प्रवाह गंगा जल की तरह निरंतर प्रवाहित होगा और यह समाज में व्याप्त विभिन्न प्रकार की समस्याओं के दीर्घकालीन समाधान खोजने में सहायक होगी क्योंकि व्याख्यान माला में विभिन्न विषयों के मूर्धन्य विद्वानों एवं विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा।

इस अवसर पर दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने कहा कि विचारों का प्रवाह किसी भी समाज की बौद्धिक उन्नति का प्रतीक है इस व्याख्यान माला के माध्यम से विश्वविद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों को शोध और अध्ययन के लिए नए आयाम एवं विषय भी प्राप्त होंगे क्योंकि बौद्धिक चिंतन की व्यापकता एवं सार्वभौमिकता नवाचार सृजनशीलता को विकसित एवं प्रोत्साहित करने में भी सहायक होती है इस प्रकार के बौद्धिक प्रयास शिक्षण संस्थानों में बेहतर शैक्षणिक वातावरण के निर्माण की दिशा में भी कारगर सिद्ध होंगे क्योंकि इससे शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को भी संवाद करने का अवसर मिलता है। बैठक में प्रो दीपक भट्ट, प्रो एचसी पुरोहित, प्रो एमपीएस बिष्ट, डॉ राजेश भट्ट, डॉ अजीत पंवार, सतेंद्र सिंह नेगी, उमेश्वर् सिंह रावत, मनोज रावत आदि उपस्थित थे।

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