देहरादून। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय विधि विभाग स्वामी रामतीर्थ परिसर में विश्व बौद्धिक संपदा अधिकार दिवस पर एक ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यक्रम का संचालन कर रहे शोध छात्रा गरिमा द्वारा किया गया। तत्पश्चात कार्यक्रम के संयोजक विधि विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ हिमानी बिष्ट ने इस कार्यशाला के उद्देश्य सहित इस वर्ष के इस दिवस के अवसर पर इसके थीम आईपी और संगीत आईपी की धड़कन महसूस करें,को विस्तार से बताया। थीम को बताते हुए यह भी बताया कि यह थीम संगीत उद्योग के भीतर रचनात्मक और नवाचार को बढ़ावा देने में बौद्धिक संपदा अधिकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
तत्पश्चात विधि विभाग की विभागाध्यक्ष व संकाय प्रमुख डॉ ममता राणा ने इस दिवस के अवसर पर बौद्धिक संपदा की समझ और संरक्षण को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका और महत्व को विस्तार से बताया। उन्होंने यह भी बताया कि विश्व बौद्धिक संपदा अधिकार दिवस प्रत्येक वर्ष 26 अप्रैल को क्यों मनाया जाता है। तत्पश्चात कार्यक्रम के अनुक्रम में कार्यशाला के मुख्य अतिथि परिसर निदेशक प्रो ए ए बौड़ाई ने यह बताया कि शैक्षणिक जगत में बौद्धिक संपदा अधिकार का महत्व दिनों दिन बढ़ता जा रहा है उन्होंने इस कार्यक्रम की सराहना की तथा कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकारों की जानकारी सभी को होनी चाहिए तथा इसकी जानकारी से नवाचार और शोधकार्यों में भी बढ़ावा मिलेगा। इस कार्यशाला में आमंत्रित प्रथम मुख्य वक्ता डॉ कृष्णदेव सिंह चौहान एसोसिएट प्रोफेसर, जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल सोनीपत से थे। उन्होंने अपने व्याख्यान के विषय चरित्र एआई : क्या बौद्धिक संपदा उल्लंघन उपभोक्ता उल्लंघन भी है इसको कॉपीराइट, व्यक्तित्व अधिकार, निजता का अधिकार को उदाहरणों के साथ विस्तार से बतलाया। उन्होंने अपने वक्तव्य में बौद्धिक संपदा के अंतर्गत दिए गए अन्य विभिन्न अधिकारो के बारे में भी विस्तार से बताया। तत्पश्चात द्वितीय आमंत्रित मुख्य वक्ता गौरव गोस्वामी अधिवक्ता दिल्ली हाई कोर्ट से थे।
उन्होंने अपने व्याख्यान के विषय नवाचार की सुरक्षा: छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार पर विस्तार से जानकारी प्रदान की। उन्होंने अपने वक्तव्य में यह भी बताया कि बौद्धिक संपदा अधिकार का नवाचार और शोध कार्यों में क्या क्या महत्व है। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन विधि विभाग के डॉ विशाल गुलेरिया द्वारा दिया गया। इस कार्यशाला में विधि विभाग पौड़ी परिसर के विधि विभागाध्यक्ष डॉ राम प्रकाश, डॉ मुकेश रावत, विधि विभाग स्वामी राम तीर्थ परिसर के डॉ एसके चतुर्वेदी, दोनो परिसरों के विधि विभाग के सभी शोधार्थी, एलएल बी, एलएलएम तथा अन्य विभागों के स्नातक व स्नाकोत्तर के विद्यार्थी सहित लगभग 100 लोग जुड़े रहे।